उत्तराखण्ड

ज्ञानवापी में पूजा का अधिकार मिलने पर संतों ने जताई खुशी

 हरिद्वार। ज्ञानवापी केस में कोर्ट की तरफ से हिंदू पक्ष को पूजा का अधिकार मिलने पर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद व श्री मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने खुशी जताते हुए सच्चाई की जीत बताया है। बुधवार को मीडिया को जारी बयान में श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया।

निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरि ने कहा कि कई पीढ़ियों के बाद काशी विश्वनाथ मंदिर में कोर्ट द्वारा पूजा-अर्चना का अधिकार मिलना सनातनियों के लिए हर्ष और सौभाग्य का दिन है। इसके लिए वाराणसी कोर्ट बधाई की पात्र है।

राम मंदिर के बाद विश्वनाथ मंदिर की बारी

स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर की तर्ज पर काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण का समय आ गया है। अब काशी विश्वनाथ मंदिर के निर्माण में अधिक विलंब नहीं रह गया है। जल्द ही काशी विश्वनाथ मंदिर का भव्य निर्माण होगा। स्वामी कैलाशानंद गिरी ने कहा कि अयोध्या, काशी विश्वनाथ के बाद मथुरा की बारी है। मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि निर्माण के लिए चल रहे अभियान को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सनातन धर्म लगातार मजबूत हो रहा है।

ब्रिटिश काल से ज्ञानवापी के तहखाने में होती थी पूजा

मां गौ गंगा सेवा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत निर्मल दास महाराज ने ज्ञानवापी मामले में वाराणसी जिला कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि ब्रिटिश काल से ज्ञानवापी के तहखाने में हिंदू समाज पूजा करता आया है। कोर्ट के निर्णय के बाद सच्चाई उजागर हुई है। संत समाज कोर्ट के निर्णय का स्वागत करता है। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी स्थल पर मंदिर था और हमेशा रहेगा।

अनादि काल से मंदिर रहा है ज्ञानवापी

ज्ञानवापी परिसर के अंदर और बाहर देवी देवताओं की मूर्तियों का मिलना, हिंदू अभिलेखों का अंकित होना, दीवारों पर त्रिशूलों के निशान और संस्कृत भाषा का लेखन दर्शाता है कि ज्ञानवापी स्थल पर अनादि काल से मंदिर रहा है।

हिंदू समाज की बड़ी जीत

युवा भारत साधु समाज के अध्यक्ष महंत शिवम् महाराज एवं महामंत्री स्वामी रविदेव शास्त्री महाराज ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद हिंदू समाज की बड़ी जीत हुई है। स्वामी ऋषिश्वरानंद, बाबा हठयोगी, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महंत सूरज दास, महंत दिनेश दास, महंत गुरमीत सिंह, महंत अरुण दास, महंत अनंतानंद, महंत लोकेश दास, महामनीषी निरंजन स्वामी, स्वामी नित्यानंद, महंत श्रवण मुनि, महंत कृष्ण मुनी सहित अनेक संतों ने कोर्ट के निर्णय पर खुशी जाहिर करते हुए इसे ऐतिहासिक फैसला बताया है।

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