धर्म-संस्कृति

पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस ने ‘दिल की गीता’ के हिंदी संस्करण का किया विमोचन

देहरादून: गुरुवार को हरिद्वार जनपद के कनखल स्थित श्री हरेराम आश्रम का स्वर्ण जयंती महोत्सव आयोजित किया गया। जिसमे पाकिस्तान सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड चीफ जस्टिस खलीलुर्रहमान रम्दे शामिल हुए। 

इस दौरान उन्‍होंने संस्कृत गीता के अनुवादित उर्दू काव्य ‘दिल की गीता’ के हिंदी संस्करण का विमोचन भी किया।

उन्होंने कहा कि धर्म का इस्तेमाल इकट्ठा करने के लिए करें ना कि बिखराव के लिए। धर्म जोड़ता है तोड़ता नहीं। रम्दे ने कहा कि सभी धर्म बुराई से लड़ने को प्रेरित करते है। धर्मों के बंधन लोगों ने बनाए हैं। सभी धर्मों का सार एक है।

कुरान और गीता की शिक्षाओं पर पूछे गए सवाल पर पूर्व न्यायाधीश ने कहा कि सभी धर्मों के धर्म ग्रंथ एक जैसी शिक्षाएं देते हैं। कोई भी धर्म नफरत फैलाने और जुल्म करने का पैगाम नहीं देता है। इसलिए सभी धर्मों का आदर करना चाहिए।

इस अवसर पर पाकिस्तान के शिक्षाविद ख्वाजा दिल मोहम्मद की ओर से संस्कृत गीता के अनुवादित उर्दू काव्य ‘दिल की गीता’ के हिंदी संस्करण का विमोचन भी न्यायाधीश और संत महंतों ने संयुक्त रूप से किया।

ख्वाजा दिल मोहम्मद विभाजन से पूर्व लाहौर स्थित डीएवी कालेज के रजिस्ट्रार रहे हैं और उन्होंने ही आजादी से पूर्व श्रीमद्भगवद्गीता का संस्कृत से उर्दू काव्य के रूप में अनुवाद किया था। जिसका नाम उन्होंने दिल की गीता रखा था।

इस दिल की गीता का हरिद्वार गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय से रिटायर्ड जनसंपर्क अधिकारी प्रदीप कुमार जोशी और पाकिस्तान मूल के लक्ष्मण शर्मा ने हिंदी में अनुवाद किया है।

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