उत्तराखण्ड

मानसिक स्वास्थ्य नीति को मिली हरी झंडी, कैबिनेट में मिल सकती हैं मंजूरी

देहरादून: मानसिक स्वास्थ्य नीति की नियमावली को केंद्र सरकार से हरी झंडी मिल गई है। आगामी कैबिनेट में इसे मंजूरी दी जा सकती है। प्रदेश में अब नशा मुक्ति केंद्र, मानसिक स्वास्थ्य संस्थान के साथ मानसिक रोग विशेषज्ञ, नर्सों, मनोचिकित्सकीय सामाजिक कार्यकर्ताओं को पंजीकरण करना अनिवार्य होगा। लेकिन मानसिक रोग विशेषज्ञों से पंजीकरण शुल्क नहीं लिया जाएगा। स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि नशा मुक्ति केंद्र मानसिक रोगी को कमरे में बंधक बना कर नहीं रख सकते हैं। डॉक्टर के परामर्श पर नशा मुक्ति केंद्रों में मरीज को रखा जाएगा और डिस्चार्ज किया जाएगा। केंद्र में फीस, ठहरने, खाने का मेन्यू प्रदर्शित करना होगा। मरीजों के इलाज के लिए मनोचिकित्सक, डॉक्टर को रखना होगा। केंद्र में मानसिक रोगियों के लिए खुली जगह होनी चाहिए। जिला स्तर पर मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड के माध्यम से निगरानी की जाएगी। मानसिक रोगी को परिजनों से बात करने के लिए फोन की सुविधा दी जाएगी। इसके अलावा कमरों में एक बेड से दूसरे बेड की दूरी भी निर्धारित की गई है। केंद्र सरकार ने मानसिक स्वास्थ्य नीति की नियमावली को मंजूरी दे दी है। शीघ्र ही नियमावली का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जाएगा। बता दें, केंद्र सरकार ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य देखरेख अधिनियम लागू किया था। साथ ही राज्यों को भी इस अधिनियम के तहत मानसिक स्वास्थ्य नीति और नियमावली बनाने के निर्देश दिए गए थे। अधिनियम के तहत 2019 में सरकार ने राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण का गठन किया। लेकिन नियमावली न होने के कारण प्राधिकरण काम नहीं कर पा रहा था। बीते माह स्वास्थ्य विभाग की ओर से नियमावली का प्रस्ताव केंद्र सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया था। केंद्र सरकार ने नियमावली का परीक्षण करने के बाद मंजूरी दे दी है।

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