उत्तराखण्ड

पहाड़ों की रानी’ मसूरी से जुड़े कुछ ऐसे राज, जो यात्री के लिए है बेहद जरूरी

हमेशा से मसूरी भारत के लोगों के लिए सबसे पसंदीदा पर्यटन स्थल रहा है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से मसूरी 34 किमी दूर होने की वजह से, लोग देहरादून घूमने के साथ-साथ मसूरी का भी एक चक्कर जरूर लगाकर आते हैं। 1880 मीटर की ऊंचाई पर स्थित पहाड़ों की रानी में आपने कई खूबसूरत जगहें देखी होंगी, लेकिन क्या आप यहां की कुछ दिलचस्प बातों के बारे में बारे में जानते हैं, जैसे कहते हैं इस जगह को दो जवान आदमियों ने ढूंढा था। जी हां, यकीन नहीं होता, तो चलिए इस लेख के जरिए आप भी पूरी जानकारी ले लीजिए।
1820 के दशक के अंत में, हिल स्टेशन की खोज दो युवा लड़कों, कैप्टन यंग और मिस्टर शोर ने की थी। इन्हीं में से एक लड़के को मसूरी की खूबसूरती से इतना प्यार था कि उसने इस हिल स्टेशन पर अपना घर बना लिया था।
मसूरी सचिन तेंदुलकर का पसंदीदा हॉलिडे डेस्टिनेशन है। एक बार सचिन तेंदुलकर और उनके बिजनेस पार्टनर संजय नारंग ने जब यहां अपनी प्रॉपर्टी पर रिजॉर्ट बनाने का निर्माण शुरू किया तो उनके इस कार्य को रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के नियमों के उल्लंघन की वजह से इसे तोड़ दिया गया।
मसूरी में सिर्फ पहाड़ियां देखकर ही न रह जाएं, इन चीजों से भी करें अपना मनोरंजन
मसूरी था दलाई लामा का पहला घर –
1959 में जब 23 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा को चीन द्वारा तिब्बत पर कब्जा करने और उपनिवेश बनाने के कारण निकाल दिया गया था, वे तिब्बती निर्वासित सरकार की स्थापना के लिए मसूरी आए थे। तो, मसूरी दलाई लामा का पहला घर था। इसके बाद उनका तबादला हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला में कर दिया गया।
नेहरू परिवार की पसंदीदा जगह थी मसूरी
मसूरी नेहरू परिवार के पसंदीदा पर्यटन स्थलों में से एक था, जो 1920-40 के दशक के दौरान वो इस जगह पर घूमने के लिए अक्सर आते रहते थे। वे आलीशान सेवॉय होटल में ठहरा करते थे। इसके अलावा, नेहरू की बहन विजयलक्ष्मी पंडित का घर शांत दून घाटी में स्थित है।
मसूरी का ये नाम कैसे पड़ा –
भले ही इस हिल स्टेशन को अंग्रेजो ने बसाया हो, लेकिन इसका नाम एकदम स्वदेशी है। ये नाम झाड़ी मंसूर से लिया गया है, दरअसल ये झाड़ी मसूरी में सबसे ज्यादा पाई जाती थी। आज भी लोग मसूरी को मंसूरी बुलाते हैं।
भारत के सबसे महंगे स्कूलों का घर
क्या आप जानते हैं मसूरी में वुडस्टॉक स्कूल भारत के सबसे महंगे स्कूलों में से एक है? सह-शिक्षा स्कूल लंढौर में स्थित है, जो एशिया के सबसे पुराने रेजिडेंशियल स्कूल में आता है। 6th क्लास के लिए यहां वार्षिक फीस 16,70,000 रुपए है। कक्षा 12 के लिए वार्षिक फीस 18,53,000 रुपए है। वुडस्टॉक स्कूल में भारतीय, कोरियाई, ऑस्ट्रेलियाई, अमेरिकी, जर्मन सहित 26 से अधिक राष्ट्रीयताएं हैं।

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