उत्तराखण्ड
जोशीमठ भू-धंसाव: राहत कार्यों को लेकर सचिव आपदा प्रबन्धन ने की जानकारी साझा
अन्तरिम राहत के तौर पर अभी तक 1.87 करोड़ रूपये से अधिक की धनराशि प्रभावित परिवारों को वितरित की गई।भारत सरकार के स्तर पर सी.बी.आर.आई. द्वारा प्रभावितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट निर्माण पर सहमति दी गई।जोशीमठ में अस्थायी रूप से चिन्हित राहत शिविरों के कक्षों की संख्या बढ़ाकर 615 की गई हैं, जिनकी क्षमता 2190 लोगों की हो गई है, शीतलहर को देखते हुए राहत शिविरों में विस्थापितों के लिए हीटर एवं अलाव के पुख्ता इंतजाम किए गए
देहरादून: सचिव आपदा प्रबन्धन डा. रंजीत कुमार सिन्हा ने जोशीमठ में हो रहे भू-धंसाव को लेकर राज्य सरकार द्वारा किये जा रहे राहत एवं बचाव, स्थायी व अस्थायी पुनर्वास से सम्बन्धित कार्यो की जानकारी मीडिया से साझा कीI इस दौरान सिन्हा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से विस्थापन के लिए अब तक 25 परिवारों को प्रति परिवार 187.50 लाख रूपये की अग्रिम धनराशि के रूप में वितरित कर दी गयी है। भारत सरकार के स्तर पर सी.बी.आर.आई. द्वारा विस्थापितों की स्वयं की सुरक्षित भूमि पर प्री फैब हट में सहायता दी जा रही है। प्रशासन द्वारा शीतलहर को देखते हुए नगर पालिका जोशीमठ में 10 स्थानों पर अलाव जलाये गये हैं। राहत शिविरों में हीटर की व्यवस्था की गई है।
शनिवार को सचिव आपदा प्रबन्धन ने मीडिया को जानकारी दी कि राहत शिविरों की क्षमता में वृद्धि करते हुए अस्थायी रूप से जोशीमठ में कुल 615 कमरे है, जिनकी क्षमता 2190 लोगों की है. पीपलकोटी में 491 कमरे है, जिनकी क्षमता 2205 लोगों की है। प्रभावितों को वितरित राहत राशि के तहत प्रति परिवार 5000 रूपये की दर से घरेलू राहत सामाग्री के लिए अभी तक 73 प्रभावितों को कुल 3.65 लाख रूपये वितरित की गई है। पूर्ण क्षतिग्रस्त भवनो के लिए 10 प्रभावितों को 13 लाख रूपये धनराशि वितरित की गई है। मकान किराये के लिए 10 लोगों ने आवेदन किया है।
सचिव आपदा प्रबन्धन ने जानकारी दी कि अभी तक 782 भवनों की संख्या जिनमें दरारें दृष्टिगत हुई है। उन्होनें जानकारी दी कि गांधीनगर में 01, सिंहधार में 02, मनोहरबाग में 05, सुनील में 07 वार्ड असुरक्षित घोषित किए गए हैं। 148 भवन असुरक्षित क्षेत्र में स्थित है। 223 परिवार सुरक्षा के दृष्टिगत अस्थायी रूप से विस्थापित किये गये है। विस्थापित परिवार के सदस्यों की संख्या 754 है।
प्रेस वार्ता में अपर सचिव आपदा प्रबन्धन, निदेशक उत्तराखण्ड भूस्खलन प्रबन्धन एवं न्यूनीकरण संस्थान, प्रभारी अधिकारी पीआईबी, निदेशक वाडिया संस्थान, निदेशक आईआईआरएस देहरादून, निदेशक एनआईएच तथा निदेशक आईआईटीआर उपस्थित थे।