सीएम ने खुद ली प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी
देहरादून। अयोध्या में भगवान श्रीराम के बाल रूप नूतन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के दृष्टिगत देवभूमि में वातावरण को राममय बनाने में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कोई कसर नहीं छोड़ी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर मकर संक्रांति से लेकर 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा होने तक देवभूमि में मनाए गए सांस्कृतिक उत्सव ने इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
देश के अन्य हिस्सों की भांति अयोध्या में श्रीरामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर देवभूमि में स्वत: स्फूर्त उत्साह का वातावरण था, लेकिन मुख्यमंत्री धामी व उनकी सरकार ने इसमें और अधिक ऊर्जा भरने का काम किया। मकर संक्रांति से राज्य में सांस्कृतिक उत्सव की शुरुआत हुई तो मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रमुख कार्यक्रमों में भागीदारी की।
उत्सव के तहत मंदिरों, धार्मिक स्थलों, प्रमुख स्थलों, नदियों व घाटों पर चले स्वच्छता अभियान के कई कार्यक्रमों में मुख्यमंत्री शामिल रहे। साथ ही रामलला के अपने जन्म स्थान पर विराजमान होने के दृष्टिगत जनमानस से श्रीरामोत्सव में सक्रिय भागीदारी का आग्रह करते रहे।
सीएम धामी ने लोगों से की थी अपील
मुख्यमंत्री ने निरंतर सक्रिय रहते हुए राज्यवासियों से श्रीरामोत्सव पर एक प्रकार से राम बग्वाल मनाने का आग्रह किया तो इसका खासा असर भी देखने में आया। असल में उत्तराखंड में दीपावली, इगास दीपावली व बूढ़ी दीपावली मनाई जाती है।
उत्तराखंड में 21 दिन बाद मनती है दीपावली
22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने के दिन राज्य में वातावरण दीपावली से कहीं बढ़कर था। लोगों की जुबां पर यही बात थी कि यह राम बग्वाल है। कहा जाता है कि लंका विजय के बाद भगवान श्रीराम जब अयोध्या लौटे तो इसकी सूचना उत्तराखंड क्षेत्र के निवासियों को 21 दिन बाद मिली थी। तब यहां दीपावली मनाई गई थी।
सवा लाख से अधिक दीये हुए रोशन
प्राण प्रतिष्ठा की पूर्व संध्या पर देहरादून के परेड मैदान में मुख्यमंत्री की उपस्थिति में ही सवा लाख से अधिक दीये रोशन किए गए। प्राण प्रतिष्ठा के दिन तो मुख्यमंत्री सुबह से लेकर देर शाम तक सक्रिय रहे। सुबह उन्होंने मुख्यमंत्री आवास में रामचरित मानस की चौपाइयों का पाठ किया। फिर गोमाता की सेवा में समय बिताया।
वर्चुअल माध्यम से किए रामलला के दर्शन
प्राण प्रतिष्ठा समारोह शुरू होने पर वह वर्चुअल माध्यम से अयोध्या से जुड़े। उन्होंने परिवार सहित प्राण प्रतिष्ठा समारोह को देखा तो टपकेश्वर महादेव मंदिर में जाकर पूजा-अर्चना की और