उत्तराखण्ड

मुख्यमंत्री धामी ने राज्य आन्दोलनकारियों को पुष्प अर्पित कर शहीद दी श्रद्धांजलि

देहरादून: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मसूरी में शहीद स्मारक पर पुष्पचक्र अर्पित कर शहीद राज्य आन्दोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मसूरी में शहीद हुए राज्य आन्दोलनकारियों के परिवारजनों को सम्मानित भी किया।

इस दौरान सीएम ने कहा कि राज्य आन्दोलनकारियों के बलिदान के कारण ही हमें उत्तराखण्ड राज्य मिला। उत्तराखण्ड राज्य आन्दोनकारियों ने जिस उद्देश्य से अलग राज्य की मांग की थी, उसके अनुरूप ही राज्य को आगे बढ़ाने के लिए सरकार प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड को देश के अग्रणी राज्य बनाने के लिए 10 साल का रोडमैप तैयार किया जा रहा है। 2025 में उत्तराखण्ड राज्य स्थापना की रजत जयंती मनायेगा, तब तक सभी विभागों को लक्ष्य दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मसूरी में गढ़वाल सभा के भवन निर्माण के लिए 1.50 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी जा चुकी है, इसके लिए और धनराशि की आवश्यकता होगी, तो वह दी जायेगी। उन्होंने कहा कि फिल्म के माध्यम से राज्य आन्दोलनकारियों का चित्रण हो इसकी व्यवस्था की जायेगी। जिससे राज्य के युवाओं को राज्य आन्दोलनकारियों की वीरगाथाओं को दिखाया जा सके।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में हमारी माताओं और बहनों का महत्वपूर्ण योगदान रहा। उन्होंने कहा कि राज्य की महिलाओं के लिए 30 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण के लिए पुरजोर पैरवी की जायेगी। इसके लिए सरकार उच्चतम न्यायालय जाने की तैयारी कर रही है। राज्य आन्दोलनकारियों के क्षैतिज आरक्षण का परीक्षण कर उचित समाधान निकाला जायेगा। सिपनकोट के लोगों की पुनर्वास की उचित व्यवस्था की जायेगी।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि के साथ वीरभूमि भी है। उत्तराखण्ड के चारधाम देश-दुनिया के लोगों के लिए आस्था के प्रमुख केन्द्र हैं।

साथ ही कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखण्ड राज्य आन्दोलन में मसूरी गोलीकांड एक महत्वपूर्ण घटना है। खटीमा एवं मसूरी से अलग राज्य निर्माण आन्दोलन को गति मिली। राज्य सरकार राज्य आन्दोलनकारियों के प्रति संवेदनशील है।

इस अवसर पर पूर्व विधायक जोत सिंह गुनसोला, काशी सिंह ऐरी, मसूरी नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष अनुज गुप्ता, मसूरी नगर पालिका परिषद् के पूर्व अध्यक्ष मन्नू मल, मंडल अध्यक्ष मोहन पेटवाल, राज्य आन्दोलनकारी रवीन्द्र जुगरान, बलजीत सिंह सोनी मौजूद थे।

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