अन्तरराष्ट्रीय

क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हमें भागना नहीं मुसीबत मैं संकट में लड़ना सिखाया है

यूक्रेन में बतौर Paying Guest एक घर में रहने वाली चरखी दादरी की 17 वर्षीय मेडिकल छात्रा नेहा सांगवान वाल्मीकि युद्ध के बीच #Ukraine से भारत आ सकती थी, लेकिन उनके मकान मालिक पत्नी व तीन छोटे बच्चों को छोड़कर ,रूस के साथ युद्ध लड़ने गए हैं,नेहा ने उन्हें अकेले छोड़ने से मना कर दिया।

नेहा की मां उससे भारत वापस आ जाने की लगातार विनती कर रही हैं, लेकिन नेहा ने कहा,

“मैं रहूं या ना रहूं, लेकिन जब तक युद्ध ख़त्म नहीं होता, मैं इन बच्चों और उनकी मां को ऐसी स्थिति में छोड़कर नहीं आऊंगी.”
ऐसी स्थिति में भी अपने कर्तव्य से पीछे न हटने वाली नेहा सागवान वाल्मीकि के ऊपर पूरी दुनिया के लोगों को गर्व है क्योंकि वाल्मीकि समाज ने किसी भी परिस्थितियों में अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटे ना कभी किसी को धोखा दिया जब देश पर बात आएगी तो कभी भी देश पर न्योछावर होने के लिए पीछे नहीं हटेंगे इस कहावत को बयान नेहा सागवान वाल्मीकि ने रूबरू लोगों के बीच लाकर एक बड़ी महानता को दर्शाते हुए वाल्मीकि समाज का नाम रोशन ही नहीं पूरी दुनिया में डंका भी पीटा और ईमानदारी का परिचय देते हुए एक बार फिर वाल्मीकि समाज का नाम रोशन हुआ की बाल्मीकि समाज ने ना कभी गद्दारी की है ना कभी गद्दारी करेगा
नेहा बहन आप अपनी जान दे देना लेकिन कायरों की तरह भागकर मत आना
क्योंकि हमारे पूर्वजों ने हमें भागना नहीं मुसीबत मैं संकट में लड़ना सिखाया है और संघर्ष करना क्योंकि हमारी जिंदगी संघर्षों में कटी है ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button