उत्तराखण्ड
राज्यपाल ने दिया संदेश, राजभवन से वर्षा जल संरक्षण कर शुरू की पहल
-पानी की बचत करना सबकी जिम्मेदारी: राज्यपाल
देहरादून: राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने वर्षा जल संरक्षण प्रणाली के कार्यों का लोकार्पण किया। इस अवसर पर राज्यपाल ने कहा कि वर्तमान समय में जल संरक्षण अत्यंत आवश्यक है। वर्षा के जल को संरक्षित कर उसे पुनः उपयोग में लाया जाना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में राजभवन में भी यह पहल की गई है कि किस प्रकार यहां वर्षा के जल को संरक्षित कर उसका पुनरुपयोग किया जाय।
शनिवार को राजभवन में आयोजित कार्यक्रम के दौरान राज्यपाल ने कहा कि यहां हम सभी की जिम्मेदारी है कि हम पानी की बचत करें, जिससे आने वाले समय में पानी की दिक्कत न हो। उन्होंने कहा कि राजभवन और आसपास के क्षेत्र में अधिक मात्रा में बारिश होती है और वह पानी बहकर चला जाता था। जल संरक्षण हेतु बनाए गए टैंक के निर्माण से अब उस पानी को स्टोर किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि जल संरक्षण हेतु किए गए इस तरह के प्रयासों से जलस्तर में निश्चित ही वृद्धि होगी।
राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड में जल संरक्षण के लिए इस तरह के अन्य जगहों में भी इस तरह के प्रयास किए जा रहे हैं जिससे आने वाले समय में अवश्य ही जलस्तर में वद्धि होगी। उन्होंने इस कार्य में लगे अधिकारियों के कार्यों की सराहना की और कहा कि बहुत कम समय में ही इन कार्यों को सम्पन्न किया गया है।
राजभवन में वर्षा जल संग्रहण प्रणाली के अंतर्गत बारिश के पानी को संरक्षित करने हेतु 200 किलो लीटर क्षमता के टैंक का निर्माण किया गया है। पूरे राजभवन परिसर में होने वाली बारिश के पानी को इस टैंक में एकत्रित किया जाएगा। इसमें प्रतिवर्ष 21.78 लाख लीटर वर्षा जल उपलब्ध होगा, जिसमें प्रतिवर्ष कुल 8.40 लाख लीटर वर्षा जल भूगर्भीय जल स्तर में वृद्धि तथा प्रतिवर्ष कुल 13.38 लाख लीटर वर्षा जल का उपयोग सामान्य कार्यों यथा बागवानी, परिसर की धुलाई इत्यादि कार्यों में किया जाएगा। इसके फलस्वरूप भूगर्भीय जल के दोहन में कमी तथा पेयजल का समुचित उपयोग किया जाएगा। इस योजना की कुल लागत 37.16 लाख रुपये है।
इस अवसर सचिव राज्यपाल रविनाथ रामन, अपर सचिव स्वाति एस. भदौरिया, अपर सचिव पेयजल कर्मेन्द्र सिंह, मुख्य महाप्रबंधक जल संस्थान नीलिमा गर्ग, महाप्रबंधक आर. के. रोहेला, अधिशासी अभियंता आशीष भट्ट आदि उपस्थित रहे।