बलिदानी सैनिकों का हक छीनने. सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गई भाजपा सरकार: करन माहरा
देहरादून: कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य सरकार पर सैन्य प्रेम का दिखावे करने की बात कहते हुए तंज कसा है I उन्होंने राज्य सरकार पर देश के लिए बलिदान देने वाले सैनिकों का हक मारने का आरोप लगाया है I
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने सोमवार को कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया के कैंप कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में प्रदेश सरकार पर निशाना साधते हुए बताया कि मार्च 2014 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने सैनिकों के सम्मान में एक शासनादेश जारी किया था। जिसके तहत युद्ध व आतंरिक सुरक्षा में जुटे सैनिक व अर्द्धसैनिक के बलिदानी होने पर आश्रितों को एकमुश्त दस लाख रुपये की अनुग्रह अनुदान राशि दी जाने लगी।
इस शासनादेश के चलते वीर नारी को छह लाख व माता-पिता को चार लाख रुपये का प्रविधान था। माता-पिता के जीवित नहीं होने पर पूरे पैसे पत्नी को मिलते थे। वीर नारी के निधन की स्थिति में छह लाख रुपये बच्चों व चार लाख माता-पिता को मिलने थे। इस शासनादेश के बाद राज्य भर से आवेदन आने लगे। लेकिन आवेदकों की संख्या बढऩे पर 2020 में भाजपा की सरकार ने एक्ट के जरिये निर्णय लिया कि पांच मार्च 2014 से पहले के मामलों में राशि नहीं मिलेगी। इस दोहरे मापदंड के विरुद्ध कुछ परिवार हाई कोर्ट पहुंच गए। निर्णय सैन्य परिवारों के पक्ष में आया।
बताया कि हाई कोर्ट के इस निर्णय के विरुद्ध अब राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। नौ दिसंबर को मामले की सुनवाई होगी। यह सारी प्रक्रिया इसलिए की जा रही है ताकि पांच मार्च 2014 से पहले देश के लिए बलिदान होने वाले सैनिक के परिवार को पैसे न देने पड़े। सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए माहरा ने कहा कि राज्य सरकार देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वालों सैनिकों के स्वजन का अधिकार छीनने का हरसंभव प्रयास कर रही है।
इस दौरान प्रेसवार्ता में जिलाध्यक्ष राहुल छिमवाल, पीसीबी मेंबर सतीश नैनवाल मौजूद रहे।