उत्तराखण्ड

जंगलों को आग से बचाने के लिए मुख्य सचिव ने दिए नए निर्देश

देहरादून: जंगलों को आग से बचाने के लिए मुख्य सचिव डॉ. एस. एस. संधु ने शुक्रवार को सचिवालय में पिरुल के निस्तारण व अन्य उपयोगों के सम्बन्ध में बैठक ली। उन्होंने कहा कि प्रदेश में जंगलों की आग का मुख्य कारण पिरूल है, जिसके कारण हर साल अनमोल वन संपत्ति का नुकसान हो रहा है। पिरुल के निस्तारण के बाद जंगलों की आग की संभावनाओं को कम किए जाने में मदद मिलेगी साथ ही इससे क्षेत्रीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

बैठक के दौरान मुख्य सचिव ने अधिकारीयों को पिरुल के विभिन्न क्षेत्रों में कमर्शियल प्रयोग की संभावनाओं को तलाशे जाने साथ ही पिरुल के प्रयोगों की अन्य संभावनाओं को तलाशे जाने हेतु एक्सपर्ट्स या किसी इंस्टीट्यूशन को लगाए जाने के भी निर्देश दिए|

मुख्य सचिव ने कहा कि पिरुल के ब्रिकेट कोयले के सब्सिट्यूट के रूप में इस्तेमाल किए जा सकते हैं। जीसके लिए उन्होंने वन विभाग को योजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इसके प्लांट्स राज्य में हाई-वे के आसपास बनाए जाएं ताकि सप्लाई में आसानी हो। साथ ही, ब्रिकेट्स की मार्केटिंग के लिए थर्मल पॉवर प्लांट्स से संपर्क स्थापित किया जाए।

मुख्य सचिव ने छोटे ब्रिकेट प्लांट के लिए स्वयं सहायता समूहों को जोड़ते हुए छोटी योजनाएं संचालित किए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि योजना के संचालन के लिए साप्ताहिक मॉनिटरिंग की जाए।

मुख्य सचिव ने पूर्व में संचालित पिरुल से बिजली बनाए जाने वाले प्रोजेक्ट की व्यवहार्यता की जांच किए जाने के भी निर्देश दिए। साथ ही मुख्य सचिव ने उत्तरकाशी में संचालित हो रहे पिरुल से बिजली उत्पादन के लिए लगाए गए प्लांट का स्वयं भी प्लांट में जाकर निरीक्षण करने की बात कही।

इस अवसर पर प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, सचिव आर. मीनाक्षी सुंदरम एवं डॉ. पंकज पाण्डेय सहित अन्य सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

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