नेशनल

पीएमएलए पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, ईडी के सारे अधिकारों को ठहराया सही

देहरादून:  प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने पीएमएलए कानून के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज कर दिया है। प्रवर्तन निदेशालय की तरफ से दर्ज केस में फंसे लोगों को इससे बड़ा झटका लगा है I

कोर्ट ने कहा है कि 2018 में कानून में किए गए संशोधन सही हैं। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय के सभी अधिकारों को बरकरार रखा है। 

सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी, रेड, समन, बयान समेत पीएमएलए एक्ट में ईडी को दिए गए सभी अधिकारों को सही ठहराया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रवर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) को एफआईआर के साथ नहीं जोड़ा जा सकता है। ईसीआईआर की कॉपी आरोपी को देना जरूरी नहीं है। गिरफ्तारी के दौरान कारणों का खुलासा करना ही काफी है। कोर्ट ने कहा है कि ईडी के सामने दिया गया बयान ही सबूत है। 

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में पीएमएलए के कई प्रावधानों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए 100 से ज्यादा याचिकाएं दायर की गई थीं। इसमें ईडी की शक्तियों, गिरफ्तारी के अधिकार, गवाहों को समन व संपत्ति जब्त करने के तरीके और जमानत प्रक्रिया को चुनौती दी गई थी। याचिकाएं कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम, एनसीपी नेता अनिल देशमुख व अन्य की ओर से दायर की गई थीं।

याचिकाओं में कहा गया था कि पीएमएलए कानून के तहत गिरफ्तारी, जमानत, संपत्ति की जब्ती का अधिकार सीआरपीसी के दायरे से बाहर हैं। इस कानून के कई प्रावधान असैंवधानिक हैं, क्योंकि संज्ञेय अपराध की जांच और ट्रायल के बारे में दी गई प्रक्रिया का पालन नहीं किया जाता है।

याचिकाओं में कहा गया कि जांच एजेंसी को जांच करते समय सीआरपीसी का पालन करने के लिए बाध्य होना चाहिए। इस मामले में वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी समेत कई वकीलों ने अपना पक्ष रखा था। 

केंद्र सरकार ने लोकसभा में एक सवाल के जवाब में बताया कि पीएमएलए कानून 17 साल पहले लागू हुआ था। तब से अब तक इस कानून के तहत 5,422 मामले दर्ज किए गए हैं। जबकि, सिर्फ 23 लोगों को ही दोषी ठहराया गया है। 31 मार्च तक ईडी ने एक लाख करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अटैच की है और 992 मामलों में चार्जशीट दायर की है। 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button