धर्म-संस्कृति

आत्म उत्थान के लिए गुरू पूर्णिमा का दिन वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अति उत्तमः साध्वी मणिमाला भारती

देहरादून: दिव्य सद्गुरू श्री आशुतोष महाराज जी की असीम अनुकम्पा तथा प्रेरणा से दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान की देहरादून शाखा द्वारा बड़ोंवाला स्थित जानकी फार्म में धूमधाम से भव्य ‘श्रीगुरू पूर्णिमा महोत्सव’ का विशाल स्तर पर कार्यक्रम आयोजित किया गया।

प्रातः 09ः00 बजे सद्गुरू महाराज जी की विधि-विधान से पूजा-अर्चना कर आश्रम की साध्वी विदुषियों ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया। तत्पश्चात् गुरू की महाआरती की गई, महाआरती में असंख्य भक्तजनों ने शिरकत करते हुए पुण्य लाभ अर्जित किया। इसके बाद दिव्य ज्योति ‘‘वेद मन्दिर’’ के वेदपाठी साधकों द्वारा एक घण्टे का रूद्रीपाठ कर वातावरण में दिव्यता का संचार किया गया।

संस्थान की विदुषियों द्वारा सद्गुरू की महिमा में अनेक दृष्टांत संगत के समक्ष रखे गए। इससे पहले मंचासीन संगीतज्ञों द्वारा गुरू की महिमा में अनेक सुन्दर भजनों का गायन कर उपस्थित भक्तजनों को झूमने पर विवश कर दिया। भजनों में 1. हे गुरूवर तुम्हें नमन, कोटि-कोटि नमन…….. 2. तेरा साथ हम हर जनम चाहते हैं………… 3. विश्व विधाता नमों नमः, युग निर्माता नमों नमः, ऊं श्री आशुतोषाय नमः…… 4. गुरू पूजा आई-गुरू पूजा आई, गुरू पूजा की ये घड़ियां, खुशिया लेकर आईं………. भजनों की विस्तृत मिमांसा करते हुए मंच संचालन संयुक्त रूप से साध्वी विदुषी ऋतम्भरा भारती जी तथा साध्वी सुश्री सुभाषा भारती जी के द्वारा किया गया।

भजनों के उपरान्त दिल्ली से प्रधारी सद्गुरू श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी सुश्री मणिमाला भारती जी ने संगत को सम्बोधित करते हुए बताया कि अगर परमात्मा से कुछ मांगना ही है तो परमात्मा से परमात्मा को मांग लो। गुरू से भक्ति, श्रद्धा और ‘ब्रह्म्ज्ञान’ की, सेवा की मांग की जानी चाहिए, इसी में जीव का कल्याण निहित है। संासारिक वस्तुएं दुख-दर्द और मायावीं सन्ताप ही देते हैं जबकि ज्ञान, वैराग्य, भक्ति, सेवा के साथ आनन्द जुड़ा होता है। आनन्द जिसका कोई पर्यायवाची होता ही नहीं। साध्वी जी ने भक्तों के अनेक दृष्टांत उद्धृत करते हुए कहा कि यह केवल इतिहास की ही बात नहीं है, आज भी भक्तों के जीवन में अनेक एैसी घटनाएं होती हैं जो सद्गुरू की महती महिमाओं को उद्घाटित किया करती हैं और अनगिनत दृष्टांत आने वाले इतिहास में दर्ज़ हो रही हैं। धर्म ग्रन्थों मंे स्पष्ट उल्लेख है कि सद्गुरू और परमात्मा में कोई भेद नहीं है। शास्त्रों में महापुरूषों की वाणी है-
समुन्द विरोल सरीर हम देखिया, इक वस्तु अनूप दिखाई
मुझ गोबिन्द है, गोबिन्द गुरू, नानक भेद न भाई

कार्यक्रम के समापन से पूर्व जानकी फार्म में विशाल भण्डारे का आयोजन किया गया। हजारों की संख्या में भक्तों द्वारा प्रसाद ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य किया गया।

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