नेशनल

विवाहित महिला अपने पति के प्रति काफी पजेसिव होती है: इलाहाबाद हाईकोर्ट

देहरादून: आत्‍महत्‍या के लिए उकसाने के एक मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक शख्‍स की रिवीजन याचिका को खारिज करते हुए कहा कि कोई भारतीय महिला स्‍वीकार नहीं कर सकती कि उसके पति को किसी के साथ साझा किया जाए। इलाहाबाद हाईकोर्ट का मानना है कि एक विवाहित महिला अपने पति के प्रति काफी पजेसिव होती है। वह उसे किसी के साथ शेयर नहीं सकती है। आरोपी सुशील कुमार की पत्‍नी ने सितम्‍बर 2018 में उसके और परिवार के सभी सदस्‍यों के खिलाफ आईपीसी की धारा  323, 494, 504, 506, 379 के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी। महिला ने आरोप लगाया था कि आरोपी पहले से ही किसी अन्‍य महिला के साथ शादीशुदा था। उस शादी से उसके दो बच्‍चे हैं। इसके बाद उसने तलाक दिए बगैर तीसरी शादी कर ली है। महिला ने आरोपी और उसके परिवार के सदस्‍यों पर मारपीट, दुर्व्‍यवहार और गाली-गलौच करने का भी आरोप लगाया। आरोपी ने जब उसे छोड़ दिया और एक नई महिला को अपने घर में रख लिया तो महिला ने एफआईआर दर्ज करवाने का फैसला लिया और उसके तुरंत बाद जहरीला पदार्थ खाकर आत्‍महत्‍या कर ली। हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी ने स्‍वीकार किया है कि उसने सितम्‍बर 2018 में तीसरी बार शादी की थी। कोर्ट ने माना कि महिला द्वारा आत्‍महत्‍या के फैसले के पीछे एकमात्र कारण पति का तीसरा विवाह ही है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आरोपी की रिवीजन याचिका (जिसमें उसने खुद को आत्‍महत्‍या के लिए उकसाने के आरोप से बरी करने की मांग की थी) खारिज कर दी हैं।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button