भारत के महान शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु सहित अन्य शहीदों की याद में 94वां शहीद दिवस मनाया गया।

देहरादून:
भारत के महान शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु सहित अन्य शहीदों की याद में 94वां शहीद दिवस मनाया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम का आयोजन उत्तराखंड के भाऊवाला, देहरादून कामाक्ष्या वेडिंग प्वाइंट में किया गया, जिसमें शहीदों के प्रति सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि, सेवानिवृत्त कर्नल अजय कोठियाल (कीर्ति चक्र, शौर्य चक्र, विशिष्ट सेवा मेडल) ने किया। उनके साथ विशेष अतिथि के रूप में सेवानिवृत्त कर्नल दिग्विजय सिंह और सेवानिवृत्त विंग कमांडर सत्या कुमार गांगुली उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में देहरादून के विभिन्न विद्यालयों के छात्रों ने अपनी प्रस्तुतियां दी। डून डिफेंस स्कूल, छरबा, सरस्वती विद्या मंदिर, मण्डुवाला और सचिनंद फाउंडेशन स्कूल, डूंगा के छात्रों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, डॉल्फिन (पीजी) कॉलेज के छात्रों (एनसीसी कैडेट्स) द्वारा परेड और गढ़वाली गीत प्रस्तुत किए गए ।
कर्नल अजय कोठियाल ने अपने जीवन संघर्षों और युथ फाउंडेशन द्वारा किए गए कार्यों के बारे, विंग कमांडर सत्या कुमार गांगुली ने अपनी यात्रा के अनुभव और सेना के साथ बिताए गए महत्वपूर्ण क्षणों को साझा किया। कर्नल दिग्विजय सिंह ने कारगिल युध में सैनिकों द्वारा किए गए बलिदानों के बारे में बात की।
इस मौके पर, स्थानीय क्षेत्र के शहीद सहायक कमांडेंट टिकम सिंह नेगी, शहीद अनुसूया प्रसाद गौड़, शहीद आशीष डबराल, शहीद रघुवीर सिंह चौहान, शहीद अमित कुमार आंठवाल और शहीद संदीप थापा के माता-पिता को कर्नल अजय कोठियाल द्वारा सम्मानित किया गया। इन शहीदों की मातृभूमि के प्रति दी गई निःस्वार्थ श्रद्धांजलि और बलिदान को सलाम किया गया।
कार्यक्रम में एक रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया गया, जिसमें 80 से अधिक यूनिट रक्तदान किया गया। इस रक्तदान शिविर को शहीदों के प्रति सम्मान और प्रेम के प्रतीक के रूप में आयोजित किया गया था। 50 से अधिक लोग चिकित्सा कारणों के चलते रक्तदान करने के लिए योग्य नहीं पाए गए, लेकिन 80 से अधिक लोगों ने अपनी स्वेच्छा से रक्तदान किया।
आज के इस आयोजन ने हमें हमारे वीर शहीदों के बलिदान और उनके द्वारा दी गई सर्वोच्च सेवा की याद दिलाई, साथ ही आने वाली पीढ़ी को उनके मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।
यह कार्यक्रम डॉ. धीरज जोशी और उनके सहयोगियों द्वारा आयोजित किया गया। अंत में, डॉ. विपिन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन किया गया।