उत्तराखण्ड

फाइटोकेमिस्ट्री और आयुर्वेद क्षमता एवं संभावनाओं पर संगोष्ठी कार्यक्रम को सम्बोधित करते कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी।

*मंत्री बोले – उत्तराखंड में आयुर्वेद की अपार संभावनाएं, फाइटोकेमिस्ट्री से रोजगार के खुलेंगे द्वार।*

 

देहरादून

 

कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने आज इंदर रोड़ में फाइटोकेमिस्ट्री और आयुर्वेद क्षमता एवं संभावनाओं पर संगोष्ठी कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने संस्थान द्वारा विभिन्न आयुर्वेदिक औषधियों पर किए गए शोधों का अवलोकन और संस्थान की स्मारिका का अनावरण भी किया।

इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जो प्राकृतिक और पारंपरिक तरीकों से स्वास्थ्य और सुखद जीवन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। आयुर्वेद रोग प्रबंधन के तहत प्राकृतिक उपचार, व्यक्तिगत उपचार, स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती, मानसिक स्वास्थ्य, तनाव प्रबंधन एवं मानसिक संतुलन के लिए अति आवश्यक है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में आयुर्वेद की सम्भावनाएं बहुत व्यापक हैं। प्रदेश में आयुर्वेद की पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने की आवश्यकता है, जो कि स्थानीय समुदायों में पीढ़ियों से चला आया है। उन्होंने कहा कि समृद्ध वनस्पति और जैव विविधता का उपयोग नई दवाओं की खोज में किया जा सकता है। सरकार, राज्यवासियों के लिए आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को प्रसारित करने का काम कर रही है ताकि प्राकृतिक और सुरक्षित चिकित्सा विकल्प प्राप्त हो सकें।

उन्होंने कहा कि आर्थिक विकास के दृष्टिकोण से भी यह अत्यधिक लाभदायक है, जहां एक ओर रोजगार के अवसर पैदा होंगे, वहीं पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। उन्होंने कहा कि आगामी 12 दिसम्बर से देहरादून में होने वाले आयुर्वेदिक उत्सव और समारोह से लोगों को आयुर्वेदिक ज्ञान और संस्कृति के बारे में जानने का अवसर मिलेगा। कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि 21वीं सदी का तीसरा दशक उत्तराखण्ड का दशक होगा। इसी वाक्य को साकार रुप देते हुए राज्य सरकार को 10वें विश्व आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्पो आयोजित करने का अवसर प्रदान हुआ है, जो इसी माह में देहरादून में आयोजित होना है। यह हम सभी के लिए अत्यंत हर्ष का विषय है। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री धामी आभार भी जताया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति में उपयोग में लाकर भी फाइटोकेमिस्ट्री की तरफ कार्य किया जा सकता है। फाइटोकेमिकल्स का निर्माण करने से रोजगार के अवसर पैदा हो सकते हैं और इसके निर्यात से राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। नई फाइटोकेमिकल्स की खोज करने से नए चिकित्सीय और औद्योगिक अनुप्रयोगों को विकसित करने में मदद मिलेगी।

फाइटोकेमिस्ट्री पौधों में पाए जाने वाले रासायनिक यौगिकों का अध्ययन है। यह विज्ञान की एक शाखा है जो पौधों में पाए जाने वाले यौगिकों की रचना, गुणों और कार्यों का अध्ययन करती है। इनमें दवाओं का विकास, पोषण एवं स्वास्थ्य, कृषि एवं पौध संरक्षण सहित पर्यावरण संरक्षण जैसी अहम विषयों का अध्ययन किया जाता है।

इस अवसर पर चेयरमैन, डॉ. एस फारुक, डॉ. आई.पी सक्सेना, डॉ.शिवानी पाठक, डॉ.शिखा सक्सेना, हिम्मत सिंह सहित छात्र छात्राएं उपस्थित रही।

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