उत्तराखण्ड

गाजियाबाद में वकीलों की हड़ताल प्रमुख मांगें पूरी न होने तक जारी रहेगी कचहरी में हड़ताल

 जिला जज से विवाद के बाद कोर्ट रूम में अधिवक्ताओं पर लाठीचार्ज के विरोध में कचहरी में अधिवक्ताओं की हड़ताल का एक माह आज पूरा हो गया है। हड़ताल अब भी जारी है, इस कारण कोर्ट में कामकाज शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में मुकदमों में सुनवाई नहीं हो पा रही है। कई महत्वपूर्ण केस फैसले के करीब हैं, लेकिन अब उनमें तारीख पर तारीख मिल रही है।

पीड़ितों को इंसाफ मिलने में देरी हो रही है, उनका इंतजार बढ़ता जा रहा है। कविनगर थाने में अधिवक्ता जितेंद्र सिंह ने दो अक्टूबर को धोखाधड़ी का केस दर्ज कराया था। आरोप है कि उनकी और उनके साथी की 90 लाख रुपये की संपत्ति को फर्जी एग्रीमेंट कर बेच दिया गया है।

इस रिपोर्ट में डासना नगर पंचायत के पूर्व चेयरमैन हाजी आरिफ अली, गुलरेज आलम, रिजवान अली, हसमुद्दीन, मोहम्मद फहीम, नसरुद्दीन, फातिमा परवीन, जफरुद्धीन, खुर्शीदन को नामजद किया गया है।अदालत में कई केस ऐसे हैं, जो कि निर्णय के करीब हैं। उनमें साक्ष्य और गवाह पेश होने हैं। फिर निर्णय होगा, हड़ताल के कारण मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। – खालिद खान, अधिवक्ता

इस मामले में आरोपितों को 28 अक्टूबर तक के लिए अग्रिम जमानत मिल गई थी। 29 अक्टूबर को इस मामले में आरोपितों की जमानत पर कोर्ट में सुनवाई जल्दी करने या दूसरे कोर्ट में केस ट्रांसफर करने की बात शिकायतकर्ता के अधिवक्ता नाहर सिंह यादव द्वारा जिला जज से कहने पर विवाद हो गया।

अधिवक्ताओं ने हंगामा शुरू किया तो पुलिस ने उन पर लाठी चार्ज कर दिया था। इसके बाद कचहरी में बवाल हुआ, पुलिस चौकी में तोड़फोड़ की गई। इस प्रकरण में अधिवक्ताओं के खिलाफ एक केस कोर्ट के कर्मचारी और दूसरा पुलिस ने कविनगर थाने में दर्ज कराया है।

अधिवक्ताओं पर कचहरी की पुलिस चौकी में आगजनी करने, सरकारी काम में बाधा पहुंचाने, पथराव करने सहित बलवे की गंभीर धाराओं में केस दर्ज किया गया है। इन दोनों मामलों में पुलिस ने जांच के लिए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज मुहैया कराने के लिए हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की है।

अब तक इस दोनों केस में जांच आगे नहीं बढ़ी है। उधर, 29 अक्टूबर को जिस मामले में जमानत को लेकर सुनवाई चल रही थी, उसमें कोर्ट में हड़ताल के कारण आरोपितों की जमानत लगातार आगे बढ़ रही है।

अधिवक्ताओं की जायज मांगें पूरी होनी चाहिए, फिर हड़ताल खत्म हो सकती है। हड़ताल खत्म होने के बाद वादों का निस्तारण हो सकेगा। – राकेश त्यागी कैली, पूर्व अध्यक्ष, बार एसोसिएशन

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