विश्व रेबीज दिवस: देहरादून में पिछले पाँच साल में रेबीज से किसी भी व्यक्ति की मौत नहीं
देहरादून
देहरादून में 2019 से रेबीज से किसी भी मानव की मृत्यु नहीं हुई है, जो कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और पशु कल्याण के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। देहरादून एक ऐसा शहर है जहां स्ट्रीट डॉग मैनेजमेंट जैसा मानवीय कार्यक्रम संचालित किया जा रहा है। इस उपलब्धि की पुष्टि देहरादून स्थित सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल से प्राप्त आंकड़ों से की गई। ये आंकड़े पशु सुरक्षा संगठन ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल/इंडिया के साथ साझा किए गए थे। यह उपलब्धि सतत और सहयोगात्मक डॉग वैक्सीनेशन (कुत्तों का टीकाकरण) और नसबंदी प्रयासों, विशेष रूप से पशु जन्म नियंत्रण (ABC) और एंटी-रेबीज टीकाकरण (ARV) कार्यक्रमों के दीर्घकालिक लाभ और प्रभावशीलता को दर्शाती है।
वर्ष 2016 से, देहरादून नगर निगम और HSI/इंडिया द्वारा साथ मिलकर अनुमानित 46,800 स्ट्रीट डॉग की नसबंदी, बंध्याकरण और रेबीज का टीका लगाने का कार्य किया गया है। इन प्रयासों के माध्यम से, इस शहर (उत्तराखंड राज्य की राजधानी) ने अपने यहाँ के 85% से अधिक स्ट्रीट डॉग की नसबंदी और टीकाकरण के लक्ष्य को हासिल कर लिया है, जो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2030 तक रेबीज से होने वाली मृत्यु को शून्य स्तर पर लाने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अनुशंसित प्रतिशत है।
HSI/इंडिया वर्ष 2018 से स्ट्रीट डॉग तथा सामुदायिक स्वास्थ्य रुचि में समुदाय की बढ़ती प्रतिबद्धता का साक्षी रहा है। उस समय HSI/इंडिया को स्ट्रीट डॉग्स के संबंध में सहायता हेतु किए गए 2,115 सार्वजनिक अनुरोधों में से केवल 4.2% (89) मामले संदिग्ध रेबीज वाले कुत्तों से संबंधित थे। इसके अलावा, पशु जन्म नियंत्रण और एंटी-रेबीज वैक्सीन कार्यक्रमों के लिए सामुदायिक अनुरोधों में पर्याप्त वृद्धि हुई है। ऐसे अनुरोधों की संख्या वर्ष 2018 में 200 थी जो वर्ष 2024 में बढ़कर 900 से अधिक हो गई है।
मानव आबादी में रेबीज उन्मूलन किस प्रकार प्रभावी डॉग मैनेजमेंट से जुड़ा है, यह समझाते हुए HSI/इंडिया के वरिष्ठ निदेशक केरेन नाज़रेथ ने कहा: “जब भारत में रेबीज उन्मूलन की बात आती है, तो ABC कार्यक्रम केवल एक साधन नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। वर्तमान में, किसी भी राज्य सरकार द्वारा रेबीज उन्मूलन पर केंद्रित एक भी कार्यक्रम का संचालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए, एक उच्च क्षमता वाला ABC कार्यक्रम, जिसमें स्वाभाविक रूप से रेबीज टीकाकरण भी शामिल हो, एक प्रभावी साधन साबित हो सकता है ताकि रेबीज टीकाकरण को अधिक सटीक रूप से ट्रैक, रिकॉर्ड और मॉनिटर किया जा सके। देहरादून इस बात का प्रमाण है कि एकीकृत ABC कार्यक्रमों के कार्यान्वयन द्वारा स्ट्रीट डॉग की आबादी में रेबीज को काफी हद तक कम करना संभव है।”
नगर निगम देहरादून के वरिष्ठ पशु चिकित्सक डॉ. डी.सी. तिवारी ने कहा, “देहरादून में पिछले 5 वर्षों में रेबीज से किसी भी व्यक्ति की मृत्यु न होना, जिम्मेदार डॉग मैनेजमेंट, कुत्तों के लिए चलाया गया प्रभावी टीकाकरण और कुत्तों के काटने के बाद सरकार द्वारा टीकाकरण की उपलब्धता तथा सामुदायिक जागरूकता का परिणाम है।” यह उपलब्धि समग्र परिवर्तन लाने और रेबीज उन्मूलन के लिए सरकारी निकायों, समुदाय के सदस्यों, स्वयंसेवकों और स्थानीय गैर सरकारी संगठनों के निरंतर सहयोगात्मक प्रयासों के महत्व को रेखांकित करती है।”
HSI/इंडिया के नाज़रेथ ने यह भी बताया कि हालांकि रेबीज प्रबंधन में काफी प्रगति हुई है, तथापि कुत्तों के काटने की समस्या का निरंतर समाधान करने की आवश्यकता है। CDC के अनुसार, हाल के वर्षों में देहरादून में कुत्तों के काटने की घटनाओं में वृद्धि हुई है। केवल वर्ष 2023 से 2024 में ही इसमें कमी देखी गई है।”इन मामलों में बढ़ोतरी के कारणों को समझने के लिए बेहतर डेटा संग्रह और साथ में, कुत्तों के काटने की घटनाओं को कम करने के लिए अधिक लक्षित कार्यक्रम विकसित करने की आवश्यकता है।”
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