उत्तराखण्ड

मृत मानकर पिछले दो दशक से जिसका श्राद्ध कर रहे थे , देश के बॉर्डर पर मिला ज‍िंदा

परिवार के लोग जिसे मृत मानकर पिछले दो दशक से जिसका श्राद्ध कर रहे हो वह ज‍िंदा म‍िल गया। चार दिसंबर 2000 को प्रमोद सिंह नेगी अपने घर से अचानक लापता हो गया। विवाहित प्रमोद के दो पुत्र थे जिनमें से एक का निधन हो चुका है। 30 वर्ष की उम्र में लापता हुआ प्रमोद भारत-नेपाल सीमा पर स्थित बलुवाकोट क्षेत्र से सकुशल मिल गया।

पौड़ी से पिथौरागढ़ पहुंचे परिवार के लोगों का अपने गुमशुदा सदस्य के साथ मिलन का दृश्य देख यहां भी लोगों की आंखों में आंसू आ गए। पिछले डेढ़ दशक से एक अज्ञात व्यक्ति बलुवाकोट से धारचूला के बीच लोगों को दिखता रहा। कभी होटलों में काम कर तो कभी लोगों के दया भाव से उसका जीवन चल रहा था। कभी लोगों ने उसके घर के बारे में जानकारी लेने की कोशिश भी की तो उसने अयाल नाम बताकर बात खत्म कर दी। उसके हाथ पर प्रमोद सिंह नेगी नाम गुदा हुआ था।

इससे आगे लोगों ने कभी जानने की कोशिश नहीं की। तीन रोज पूर्व क्षेत्र के निवर्तमान जिला पंचायत सदस्य, रेडक्रास के सक्रिय सदस्य और हंस फाउंडेशन के माध्यम से समाजसेवा में जुटे जीवन सिंह ठाकुर सायंकाल अपने घर के बाहर स्कूटी खड़ी कर रहे थे। अचानक प्रमोद उनके पास आ गया पर बोला कुछ नहीं। जीवन पहले भी उसे तमाम तरह की मदद देते रहे। उस दिन प्रमोद की तबीयत ठीक नहीं थी। वे उसे पास की फार्मेसी ले गए। शरीर में सूजन देख फार्मासिस्ट ने दवा दी।

प्रमोद दवा खाएगा भी या नहीं इसी चिंता में जीवन उसे एक होटल तक लाए। खाना खिलाने के बाद उन्होंने उसे दवा दी और उससे बातचीत शुरू की। अयाल शब्द सुनकर जीवन ने इस नाम का कोई गांव होने का अनुमान लगाया। उन्होंने इसे नेट पर सर्च किया तो पौड़ी गढ़वाल में इस नाम का गांव निकल गाया। उन्होंने अपने पंचायत, रेडक्रास और हंस फाउंडेशन के संपर्क का उपयोग किया और पौड़ी में नेगी जाति के लोगों से संपर्क कर प्रमोद का फोटो वाट्सएप ग्रुप पर भेजा।

पौड़ी के अयाल गांव के ग्रुपों में यह फोटो तैरने लगा तो प्रमोद के जीजा ने उन्हें पहचान लिया। उन्होंने जीवन से संपर्क किया। सोमवार को प्रमोद के जीजा, उनका बेटा सुदामा सिंह नेगी और दो भतीजे वाहन लेकर बलुवाकोट पहुंच गए। प्रमोद ने अपने जीजा को देखकर प्रणाम किया और अन्य लोगों को नहीं पहचाना। प्रमोद को नहला धुलाकर स्वजन अपने साथ देहरादून ले गए, जहां फिलहाल उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

पिथौरागढ़: चार दिसंबर 2000 को प्रमोद सिंह नेगी अपने घर से अचानक लापता हो गया। विवाहित प्रमोद के दो पुत्र थे, जिनमें से एक का निधन हो चुका है। प्रमोद के स्वजन ने गढ़वाल मंडल के सभी जिलों और महानगरों में उसकी तलाश की, लेकिन कुमाऊं मंडल में उसके होने का उन्हें ध्यान नहीं रहा। प्रमोद पौड़ी गढ़वाल से टनकपुर होते हुए नेपाल पहुंच गया, जहां से वह भारत में धारचूला आ गया और पिछले डेढ़ दशक से इसी क्षेत्र में रह रहा था। वह रात कभी मंदिर में तो कभी दुकानों के आगे सोकर गुजार रहा था।

प्रमोद को उसके परिवार से मिलाने वाले जीवन सिंह ठाकुर की क्षेत्र के लोगों ने खासी सराहना की है। जीवन ने कहा है कि वह जल्द ही अयाल गांव जाकर प्रमोद का हालचाल जानेंगे।

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